ठहरे हुए पानी में
कभी डाल देते हो पत्थर
लहरों से खेलने ..
या जूझने को।
रास्ते समझ आते ही
जोड़ देते हो चंद और राहें
मंजिल से भटकने को ।
कभी छोड़ देते हो
बांध कर आँखों पर पट्टी;
छुपा-छुपायी के खेल सा
फिर कहते हो
पहचानो लोगों को !
तुम्हारा भरोसा भी
मुझ पर इस क़दर है
जो बिखरने भी नहीं देता
और संभलने भी नहीं ।
thehre hue paani mei kankar na maar saanwre .. suna hai gaana...???
ReplyDeletehaan.. kuchh auron ne bhi kaha ki resemblance hai..though it wasn't intended.
DeleteNitya Dear....Awesome Lines !!!:)
ReplyDeleteSpecially...
तुम्हारा भरोसा भी
मुझ पर इस क़दर है
जो बिखरने भी नहीं देता
और संभलने भी नहीं ।
After going through this Blog i felt something is cooking..:)
All the Best...Go Ahead you will surely WIN :)
OK now lines for you from my side.....
"Go confidently in the direction of your dreams,
Live the Life you have Imagined."!!
-VJ
Thank you!
Deleteबहुत सुन्दर नित्या....
ReplyDeleteअच्छी कविता.
अनु
thanks Anu for your kind words.. :)
DeleteIts beautiful when a
ReplyDeletestrangers become
close ones...
But feels sad when the same
close one become strangers
again...:(
1
हाँ, अब तुझे भूल जाने
ReplyDeleteको दिल करता है,
बहुत रोये अब मुस्कुराने
को दिल करता है..1
Update yeh wala status
Deletebate bhut hai Kafi arse se...
Deletekisi ne jo poocha sabab aansooon ka
batana bhi chaho ,batana sako ge
mujhe tum nazar se gira tu rahe ho
mujhe tum kabhi bhi bhula na sako ge