May 13, 2019

सागर

कुछ बूंदें,
यूँ कह कर के
मत मांगो;

मैं देता हूँ
लो तुम पूरा सागर ले लो |

मैं विष पीकर जीता आया हूँ
......फिर जी लूँगा 
ले लो,
तुम अमृत की गागर ले लो
कुछ बूंदें क्यूं
सागर ले लो | 

घोर अमां आई है ?
आई रहने दो
ओह, कालिमा छाई है ?
छाई रहने दो
चांद नहीं है आसमान में ?
अहे, चांदनी से क्या होगा ....

अहे, चांदनी से क्या होगा ,
मैं पी लेता हूँ अंधकार भी
लो, तुम प्रखर प्रभाकर ले लो
कुछ बूंदें क्यूं
सागर ले लो;

कुछ बूंदें क्यूं
सागर ले लो | 




~ SD