Jun 26, 2012

जवाब

तुम्हारे ख़त ने परेशां कर रखा है
इतने सवाल किये है तुमने
किस किस का क्या क्या जवाब दूं


हिमालय की उंचाई से लेकर
प्रशांत की गहराई तक
हर जगह की विशेषता से लेकर
हर मौसम की भिन्नता तक 
 
नहीं जानती मैं जवाब इनके
नहीं पता मुझे ये इतिहास है
या भूगोल
या कोई और ही विषय

तुम्हे आसां लगे होंगे
मुझे नहीं लगते अब 
हाँ याद रखती थी मैं भी कभी  
तुम्हारे लिए ही सही 
तब क्यों नहीं पूछा
तुमने ये सब

चंद अखबारों की कई खबरें
तलाशती हूँ
और पुरानी किताबों के
पन्ने पलटती हूँ
पर नहीं मिलता कुछ भी
उम्मीद भी नहीं

गुम हो गए है मुझसे ही कहीं
इस लम्बे सफ़र में,

रास्तों ने कुछ क़दमों का किराया माँगा था
शायद उसी ने रख लिए
तुम्हारे हर एक सवाल के
मेरे सारे जवाब !

Jun 9, 2012

खिलौना

वो खिलौना हमारा
कितना प्यारा था ,
जिसे अपना-अपना जताने की छीना-झपटी में
कुछ खरोंचे आई थी;
फिर बारिश भी हुई थी ज़ोरों से
और भीग कर वापस मिट्टी हो गया था।
बाँट तो लिया है हमने अपना-अपना हिस्सा
उस मिट्टी में भी
उम्मीद है शायद अपना कोई 
खिलौना बना ले
पर पता है,
कहाँ आता है हमें
खिलौने बनाना।
ज़रूरत ही नहीं पड़ी इतने सालों में..

हाँ इतने साल भी तो हो गए है
खिलौने नहीं मिलेंगे अब हमें
बड़े हो गए है हम शायद...

स्कूल भी  खुलने वाले है
और ज्यादा पढाई करनी होगी
अब से छुट्टियाँ भी नहीं मिलेंगी हमें
गर्मियों की :(