Jul 31, 2015

फिर मत कहना ...



फिर मत कहना कुछ कर न सके


जब नर तन तुम्हे निरोग मिला, सत्संगति का भी योग लिखा
फिर भी  प्रभु कृपानुभव करके, यदि भवसागर तुम तर न सके।
फिर मत.…

तुम सत्य तत्व ज्ञानी होकर, तुम सद्-धर्मी ध्यानी होकर
यदि सरल निर्-अभिमानी होकर, कामना विमुक्त विचर न सके
फिर मत.…

जग में जो कुछ भी पाओगे, सब यही छोड़ कर जाओगे
पछताओगे यदि तुम अपना, पुण्यों से जीवन भर न सके
फिर मत.…

जो सुख सम्पत्ति में फूल रहे, जो वैभव मद में मूल रहे
उनसे फिर पाप डरेंगे क्यों, जो परमेश्वर से डर न सके
फिर मत.…

जब अन्त समय आ जायेगा, तब क्या तुमसे बन पायेगा
यदि समय शक्ति के रहते ही, आचार विचार सुधर न सके
फिर मत.…

होता तब तक न सफल जीवन, है भार रूप सब तन मन धन
यदि पथिक प्रेम पथ में चलकर, अपना या पर दुःख  हर न सके

फिर मत कहना कुछ कर न सके


--------  पं. राम नाथ द्विवेदी (Grandfather)

Jul 22, 2015

देख लो


Came across one of the manuscripts by my Grandfather. The intellect!
(the paper was preserved religiously by my Mom)



इस जग में कितना ही तुम स्वच्छंद विचर कर देख लो
तृप्ति न होगी, फिर भी कौतुक इधर उधर के देख लो। 

जिस सुख को प्राणी अपनाता, वही ईश से विमुख बनाता 
सुख ही है सर्वत्र नचाता, सुखासक्त प्राणी दुःख पाता 
नहीं समझ में आये तो तुम भी जी भर के देख लो। 

सीखो जग में सेवा करना सीखो दुनिया के दुःख हरना 
सीखो भव से पार उतरना, सत् पथ में अब कभी न डरना
जो आया है जाएगा, यह धीरज धर के देख लो। 

 जग में जो कुछ बोया जाता कई गुना बढ़कर वह आता 
जो सुख देता वो सुख पाता मान व अपना भाग्य विधाता 
यदि तुम को विश्वास न हो तो कुछ भी कर के देख लो। 

जिसको तुमने अपना माना यहाँ किसी का नहीं ठिकाना 
निश्चित जिसका है छूट जाना फिर क्या उससे मोह बढ़ाना 
तन में रहते हुए पथिक तुम, हर राह गुजर के देख लो। 

तृप्ति न होगी, फिर भी कौतुक इधर उधर के देख लो । 


-----  पं. राम नाथ द्विवेदी

Jul 17, 2015

Away!


Now I out walking
The world desert,
And my shoe and my stocking
Do me no hurt.

I leave behind
Good friends in town.
Let them get well-wined
And go lie down.

Don't think I leave
For the outer dark
Like Adam and Eve
Put out of the Park.

Forget the myth.
There is no one I
Am put out with
Or put out by.

Unless I'm wrong
I but obey
The urge of a song:
I'm—bound—away!

And I may return
If dissatisfied
With what I learn
From having died.
"Away!" by Robert Frost.
One of his favorites.

Jul 12, 2015

तुम


इक तुम्हारी कमी ही, मटमैला सा आसमां बन
बारिश वाली रातों के, भीगे आंचल से 
दबे पांव उतरी है... जब तब।

- SD