Apr 3, 2013

हाँ



तुम्हे भुलाने  की रस्म
कुछ ऐसे अदा की,

साथ सबके चली
किसी से ना रज़ा की ।

हर हाँ की कोशिश मेरी
तुम्हारी हाँ पर रुक गयी,

ज़ख्म चलते रहे ..
और खुद को सज़ा दी ।





13 comments:

  1. साथ सबके चली
    किसी से ना रज़ा की ।

    kya matlab hai ....???

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    1. matlab hai..

      attempted but couldn't really mixed up with people around.

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  2. हजूम में था वो खुल कर न
    रो सका होगा
    मगर यकीन है के सब भर न
    सो सका होगा
    वो शक्स जिस को समझने में
    मुझको उम्र लगी
    बिछड के मुझसे किसी का न
    हो सका होगा

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  3. Andy..gud translator... 1

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  4. छोटी सी ज़िंदगी है,
    हर बात में खुश रहो
    जो चेहरा पास ना हो,
    उसकी आवाज़ में खुश रहो,
    कोई रूठा हो तुमसे,
    उसके इस अंदाज़ में खुश
    रहो,
    जो लौट के नहीं आने वाले,
    उन लम्हों की याद में खुश
    रहो,
    कल किसने देखा है ,
    अपने आज में खुश रहो,
    खुशियों का इंतज़ार
    किसलिए,
    दूसरों की मुस्कान में खुश
    रहो,
    क्यूँ तड़पते हो हर पल
    किसी के साथ को,
    कभी तो अपने आप में खुश
    रहो,

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  5. रिवाज़ तो यही है
    दुनिया का मिल जाना, बिछड़
    जाना,
    तुमसे ये कैसा रिश्ता है ? ना मिलते
    हो ना बिछड्ते हो !

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  6. एक तेरी खामोशी जला देती है इस
    पागल दिल को,
    बाकी तो सब बातें अच्छी है
    तेरी तस्वीर में !

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  7. Bari Gustakh Hai Teri Yaad
    Ise Tameez Sikha..!
    Dastak Bhi Nahi Deti Aur Dil
    Mein Utar Jati Hai...

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  8. Us Me.........Mujh Me
    hua tha ek karar,
    ik duje ko bhoolne ka
    Us ne waada nibhaya sar-e-aam
    Aur Main...........Imaan Ka
    kachaa.............Nikla......!!!!

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  9. वो भी कैसा प्यार जो कह न सको तो
    दिल में उठे बयार जो कह न सको तो

    लम्बे सफर के सँग ही मजबूरियाँ बहुत
    आयेगा क्या करार जो कह न सको तो

    दिल में उसे बसाया जो स्वप्न था कुसुम का
    दीदार में है प्यार जो कह न सको तो

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