कुछ बूंदें,
यूँ कह कर के
मत मांगो;
मैं देता हूँ
लो तुम पूरा सागर ले लो |
अहे, चांदनी से क्या होगा ,
यूँ कह कर के
मत मांगो;
मैं देता हूँ
लो तुम पूरा सागर ले लो |
मैं विष पीकर जीता आया हूँ
......फिर जी लूँगा
ले लो,
तुम अमृत की गागर ले लो
तुम अमृत की गागर ले लो
कुछ बूंदें क्यूं
सागर ले लो |
घोर अमां आई है ?
आई रहने दो
आई रहने दो
ओह, कालिमा छाई है ?
छाई रहने दो
छाई रहने दो
चांद नहीं है आसमान में ?
अहे, चांदनी से क्या होगा ....
अहे, चांदनी से क्या होगा ,
मैं पी लेता हूँ अंधकार भी
लो, तुम प्रखर प्रभाकर ले लो
कुछ बूंदें क्यूं
सागर ले लो;
कुछ बूंदें क्यूं
सागर ले लो |
~ SD
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