Sep 22, 2013

दोस्त






मेरी balcony से दिखता वो नीम का पेड़
आजकल बहुत खुश रहता है 

दोस्तों का आना-जाना लगा है इन दिनों
अक्सर जब उनके खिलखिलाने की आवाज़
मेरे कमरे तक आती है
सोचती हूँ
आखिर क्या बातें करते होंगे मिल कर..


वो नीम का पेड़, बारिश की बूँदें और सर्द-मंद हवायें।  :)




5 comments:

  1. अच्छी हैं बहुत पर इसमें कुछ अधूरापन सा लगा मुझे...!!!

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  2. "ये तेरी बेरुख़ी की हम से आदत ख़ास
    टूटेगी ,
    कोई दरिया न ये समझे
    कि मेरी प्यास टूटेगी ,
    तेरे वादे का तू जाने
    मेरा वो ही इरादा है ,
    कि जिस दिन साँस
    टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी..... ♥

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  3. समझ नहीं आता कि तुम किसी की दोस्ती के लायक नहीं हो....
    या कोई तुम्हारी दोस्ती के लायक नहीं हैं....!!!!

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    1. though the comment is totally irrelevant still..
      latter one sounds convincing :)
      anyway bahut pahle likhi hui lines yaad aa gayi..

      ना दोस्त कभी मिल सके मुझे
      ना दुश्मन ही मैं बना सकी

      ref:
      http://nityadwivedi.blogspot.in/2011/11/blog-post.html

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  4. कुछ नये दोस्तों का साथ... कुछ पुरानों की सदाँ निकले.....
    कौन अपना है ,कौन बेगाना..कुछ तो पता निकले....!!!!!

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