Jan 13, 2012

बारिश

उस रोज़ बादल घिरे थे
जब हमें मिलना था

शिकायतें करनी थी
किस्से सुनाने थे
... बातें बाक़ी थी

इस बार के लम्बे इंतज़ार को
ख़त्म होना था
तुमसे मिल कर
बड़ी देर तक
बस तुम्हे देखना था

बिजली कड़क रही थी
फ़ोन पर नज़र जाती थी बार बार
अब तक कॉल नहीं किया तुमने
बिज़ी होगे शायद

कोहरा छा रहा था
दिन भी ख़त्म हो रहा था
कॉल नहीं आई;

तुम ही नहीं पहुचे शायद
जहां हमें मिलना था


उस रोज़..
बारिश भी ज़ोरों से हुई थी


10 comments:

  1. Loving someone who doesn't love you,Is like a waiting for a ship at the airport ........... :)

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  2. “Mai janta hun ek suraj mera hoga
    Us din hi mera savera hoga”.....

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  3. आज दिल फिर उदास है,
    ना वो आया ना आने कि आस है............. :-)

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  4. मिलते होंगे

    लोगों को
    न जाने
    कितने कंधे
    रोने के लिए ,
    मुझे तो
    बारिश से
    मुहब्बत है
    जो निभाती है
    हर बार
    मेरा साथ .

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