जितनी दिल की गहराई हो
उतना गहरा है प्याला,
जितनी मन की मादकता हो
उतनी मादक है हाला,
जितनी उर की भावुकता हो
उतना सुन्दर साक़ी है
जितना ही हो रसिक, उसे है
उतनी रसमय मधुशाला
मेरी हाला में सबने
पायी अपनी-अपनी हाला
मेरे प्याले ने सबने
पाया अपना-अपना प्याला,
मेरे साक़ी में सबने अपना
प्यारा साक़ी देखा,
जिसकी जैसी रूचि थी उसने,
वैसी देखी मधुशाला
- बच्चन
गलत ढूंढते हैं सही ढूंढते हैं,
ReplyDeleteजो सब ढूंढते हैं यहीं ढूंढते हैं
जो मिलता नहीं बस वही ढूंढते हैं
वो मिल जाए गर तो कमी ढूंढते हैं
true!
Delete:-)
Deletegud one..lady drinker !!!! :-)
ReplyDeleteCan you please Xplain it in English for better understanding :)
ReplyDelete@Vijay: to summarize, ppl r tend to understand things per their own situation/context. I might have written for a totally different context! :)
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