Feb 21, 2013

वार



सबको वजह मिली है
हर गुनाह की खुद के, 

बेवजह, बेगुनाह भी 
कुछ यूँ ही जायेंगे |

सिलसिला -ए - वार*
ये कभी तो रुके,

इंसानियत सिखाने भी
क्या अब खुद,
ख़ुदा या भगवान आयेंगे ?। 

*attack





Feb 8, 2013

आज, एक दिन



किसी ने किसी को किया propose
किसी ने दिया किसी को red rose

किसी की तारीफ में बजी तालियाँ
कहीं आरती को सजी थालियाँ

किसी ने किसी का छोड़ दिया साथ
कहीं थामा गया एक-दूसरे का हाथ

किसी ने इस दुनिया में खोली आँखें
कहीं किसी ने ली अंतिम सांसें

ज़िन्दगी, आज
कुछ को मिली
कुछ ने जी ली
और कुछ खो बैठे


मेरा भी एक दिन, आज
कुछ हल्के-भारी
हिसाब-किताब से गुजरता रहा ।


*written during valentine week