Sep 21, 2016

मेरी तुम।


वक़्त ठहरा के रखा है
तुम्हारे लिये ...
साँस के बाद एक और
.... साँस रखी है



तुम धड़कती हो मेरे अंदर
और मेरा दिन गुज़रता है
तुमसे हर बात ही यूँ
बाँध रखी  है

जादू हो न माया हो तुम
और ना मैं जन्नत में हूँ
हर दर्द सह बस तुम्हे पाने की
आस रखी  है

तुम हँसोगी तो
फिर आँगन फूल बरसेंगे
वो घर बनाने को दीवारें मैंने
तैयार रखी है

कभी सोचा न था
कि सोचूंगी तुम्हे इस हद
किस्मत ने भी बस अपनी ही
ठान रखी है



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