Apr 30, 2012

Diary


आज फिर....
cupboard साफ़ करते हुए
तुम्हारी gift की हुई diary मिली,
उन कोरे पन्नों को देख कर लगा
चलो इस बार इन पर लिखा जाये 

फिर पलटते -पलटते
उन पन्नों पर ना-लिखी कहानियां
याद आने लगीं सारी
एक-एक  कर ..

आज फिर....
उन यादों के लालच में 
रख दी है वो diary संभाल कर।
नहीं किया अभी तक,
एक भी कोरे पन्ने को 
Overwrite!


16 comments:

  1. kuchh aur likh rahi thi, kuchh aur hi likh gaya...and when d same happens to me in office, they dont like it... ;) :P

    loved it anyway so posted! :)

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  2. lag ke saahil se jo behta hai use behne do...
    aise darya ka kabhi ruqkh moda karte..

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    1. .........kabhi ruqkh NAHI moda karte..

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    2. apne theek likha hai Nitya..... !!!

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  3. तुम्हे मैंने जितना जाना
    बूंद बूंद ही जाना........

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  4. बहुत मायूस था मैं
    न जाने कितने दिनों से
    बहुत सोचा मगर कुछ समझ न पाया
    पर
    आज अचानक
    एक पुरानी किताब से
    तेरी तस्वीर जो निकली
    मूझे जैसे जीने
    फिर से एक बहाना मिल गया ..

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    1. as they say:
      topics change, story doesn't! :)

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    2. मजा बरसात का चाहो मेरी आंखो में आ बैठो ।
      वो बरसों में कहीं बरसे ये बरसों से बरसती हैं ।

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  5. "operation successful but patient dead"

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  6. Good Nitya I like your Blogs a lot...this is one of my Fav Blog of yours :D

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  7. हम तो खड़े रहे दरख्तों की तरह
    कई बार तूफानों का रास्ता बदल दिया,
    अब गिरे हैं खुद जमीन पर
    अपने ही माली की कुल्हाडियों से कटकर

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  8. excellent...........
    lovely expression...

    anu

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    1. thanks Anu.
      went through ur blog as well; must say its beautiful! :)

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