आज फिर....
cupboard साफ़ करते हुए
cupboard साफ़ करते हुए
तुम्हारी gift की हुई diary मिली,
उन कोरे पन्नों को देख कर लगा
चलो इस बार इन पर लिखा जाये
फिर पलटते -पलटते
उन पन्नों पर ना-लिखी कहानियां
याद आने लगीं सारी
एक-एक कर ..
उन पन्नों पर ना-लिखी कहानियां
याद आने लगीं सारी
एक-एक कर ..
आज फिर....
उन यादों के लालच में
उन यादों के लालच में
रख दी है वो diary संभाल कर।
नहीं किया अभी तक,
एक भी कोरे पन्ने को
Overwrite!
kuchh aur likh rahi thi, kuchh aur hi likh gaya...and when d same happens to me in office, they dont like it... ;) :P
ReplyDeleteloved it anyway so posted! :)
lag ke saahil se jo behta hai use behne do...
ReplyDeleteaise darya ka kabhi ruqkh moda karte..
.........kabhi ruqkh NAHI moda karte..
Deleteapne theek likha hai Nitya..... !!!
Deleteतुम्हे मैंने जितना जाना
ReplyDeleteबूंद बूंद ही जाना........
liked d line!
Delete:-)
Deleteबहुत मायूस था मैं
ReplyDeleteन जाने कितने दिनों से
बहुत सोचा मगर कुछ समझ न पाया
पर
आज अचानक
एक पुरानी किताब से
तेरी तस्वीर जो निकली
मूझे जैसे जीने
फिर से एक बहाना मिल गया ..
as they say:
Deletetopics change, story doesn't! :)
मजा बरसात का चाहो मेरी आंखो में आ बैठो ।
Deleteवो बरसों में कहीं बरसे ये बरसों से बरसती हैं ।
"operation successful but patient dead"
ReplyDeleteGood Nitya I like your Blogs a lot...this is one of my Fav Blog of yours :D
ReplyDeleteThank U :)
Deleteहम तो खड़े रहे दरख्तों की तरह
ReplyDeleteकई बार तूफानों का रास्ता बदल दिया,
अब गिरे हैं खुद जमीन पर
अपने ही माली की कुल्हाडियों से कटकर
excellent...........
ReplyDeletelovely expression...
anu
thanks Anu.
Deletewent through ur blog as well; must say its beautiful! :)