Jan 21, 2012

मधुशाला

जितनी दिल की गहराई हो
उतना गहरा है प्याला,
जितनी मन की मादकता हो
उतनी मादक है हाला,

जितनी उर की भावुकता हो
उतना सुन्दर साक़ी है
जितना ही हो रसिक, उसे है
उतनी रसमय मधुशाला

मेरी हाला में सबने
पायी अपनी-अपनी हाला
मेरे प्याले ने सबने
पाया अपना-अपना प्याला,

मेरे साक़ी में सबने अपना
प्यारा साक़ी देखा,
जिसकी जैसी रूचि थी उसने,
वैसी देखी मधुशाला

       - बच्चन


Jan 13, 2012

बारिश

उस रोज़ बादल घिरे थे
जब हमें मिलना था

शिकायतें करनी थी
किस्से सुनाने थे
... बातें बाक़ी थी

इस बार के लम्बे इंतज़ार को
ख़त्म होना था
तुमसे मिल कर
बड़ी देर तक
बस तुम्हे देखना था

बिजली कड़क रही थी
फ़ोन पर नज़र जाती थी बार बार
अब तक कॉल नहीं किया तुमने
बिज़ी होगे शायद

कोहरा छा रहा था
दिन भी ख़त्म हो रहा था
कॉल नहीं आई;

तुम ही नहीं पहुचे शायद
जहां हमें मिलना था


उस रोज़..
बारिश भी ज़ोरों से हुई थी


Jan 4, 2012

Another start


When things don't go my way
they dont have to
but I just wish they do

everytime I have to take a turn
I dont always like,
the effort of finding new path
and knowing the people by side!
what if they don't turn good
and wouldn't match the stride.
would they ever understand me
or should I even try?

Oh, I even see another start
to carry things the right way,
... a better play of my part!!

Jan 2, 2012

Unknown



Will you solve a mystery for me

why things have to change
Why is life so complicated
Why can't things stay the same

I understand that people grow
And often grow apart
You have a special something
I just can't figure out!


.. dedicated to someone(unknown) who wrote it for me!

Jan 1, 2012

2012 !!

Dear visitors (accidental & regular) , admirers (open & secret :P) and fellow bloggers,


May 2012 bring you all what you have been aspiring for.. Have a wonderful year ahead ! :)