जितनी दिल की गहराई हो
उतना गहरा है प्याला,
जितनी मन की मादकता हो
उतनी मादक है हाला,
जितनी उर की भावुकता हो
उतना सुन्दर साक़ी है
जितना ही हो रसिक, उसे है
उतनी रसमय मधुशाला
मेरी हाला में सबने
पायी अपनी-अपनी हाला
मेरे प्याले ने सबने
पाया अपना-अपना प्याला,
मेरे साक़ी में सबने अपना
प्यारा साक़ी देखा,
जिसकी जैसी रूचि थी उसने,
वैसी देखी मधुशाला
- बच्चन