खुशियाँ जो इनायत करते हो मुझको, ए ख़ुदा,
संजोने का उन्हें, सलीका भी सिखा दिया होता |
शिकायत ये नहीं, एक और आरज़ू ही है बस,
प्यार इतना था दिया; निभाना भी सिखा दिया होता |
मुश्किलों का खौफ़ तो कभी ना था,
ज़रा लड़ने का हौसला दिला दिया होता |
खुश हूँ; यूं तो ज़िन्दगी में कोई कमी भी नहीं
हाँ, अरमानों का गुच्छा ना इतना बड़ा दिया होता |
हमसे से हज़ारों यहाँ, तू भी किस किस की सुने,
बस वो हाथ थाम के आसरा ना दिया होता |
हिम्मत तो है; ऐसी टूटी भी नहीं अब तक,
मेरी दुनिया का बस मुझे मालिक बना दिया होता |
ऐसा भी नहीं अब बनती नहीं मेरी तुझसे
कुछ ख्वाहिशें कह रही है आज
कभी हमको भी नाम दिया होता |
संजोने का उन्हें, सलीका भी सिखा दिया होता |
शिकायत ये नहीं, एक और आरज़ू ही है बस,
प्यार इतना था दिया; निभाना भी सिखा दिया होता |
मुश्किलों का खौफ़ तो कभी ना था,
ज़रा लड़ने का हौसला दिला दिया होता |
खुश हूँ; यूं तो ज़िन्दगी में कोई कमी भी नहीं
हाँ, अरमानों का गुच्छा ना इतना बड़ा दिया होता |
हमसे से हज़ारों यहाँ, तू भी किस किस की सुने,
बस वो हाथ थाम के आसरा ना दिया होता |
हिम्मत तो है; ऐसी टूटी भी नहीं अब तक,
मेरी दुनिया का बस मुझे मालिक बना दिया होता |
ऐसा भी नहीं अब बनती नहीं मेरी तुझसे
कुछ ख्वाहिशें कह रही है आज
कभी हमको भी नाम दिया होता |