Dec 29, 2010

हलचल

काश प्रलय ही हो,
जीवन को कुछ गति तो दे जाये;
काश रक्त कि एक बूँद ही,
बंजर को छू जाये

काश आंधियां ही अब,
पथ पर साथी बन जाये;
भले भंवर में मिलूँ ,
किन्तु ये प्यास तृप्त हो जाये

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