Dec 29, 2010

परिवर्तन

मैं पहले ही अच्छी थी,

जब अनुशाषित थी |


स्वच्छंद मन से आकाश को तय करके
खुद को बादलों में उलझा लिया है
मैं पहले ही अच्छी थी,
जब ज़िन्दगी सुलझी थी |

अब धरती बेहतर लगती है
पर गंतव्य नहीं निश्चित
कई एक मंजिलें दिखती है
सबको पाने की चाहत है
मैं पहले ही अच्छी थी,
जब एक लक्ष्य में सिमटी थी |

असमंजस में हूँ,
क्या खोया है, क्या पाया ?
क्या बेहतर हूँ , या बद्तर ?
या हूँ बेअसर, अब तक !!
कुछ सोपान चढ़े है या पीछे लौटी हूँ ?
या स्थिर हूँ वहीँ, जहां से चलना था ...
ये भ्रम है या आशंका
या डिगा हुआ विश्वास मेरा

लोगों से फिर वो सीख रही
जो सिखलाया करती  थी  मैं.... !!!

शायद मैं पहले ही अच्छी थी;
जब गतिशील थी,

और नियंत्रित भी |

2 comments:

  1. Its beautiful n simply Cute... Especially 3rd para... It actually has the reflection of our life. we always think later about what we lost in past or what we used to do... Liked it & Hope to see more from ur side... & yeah I also want to see some happening part of life in your blog... :)

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  2. thanks for ur kind words...will come up with d happening ones as well :)

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