जब से मैं तेरे साज़ की चुप हूँ । तब से अपनी आवाज़ की चुप हूँ । मुझ को मालूम नहीं कहाँ जाना , इस लिए हर आगाज़ की चुप हूँ । तुम ने वादा कोई निभाया था , मैं तेरे उस लिहाज़ की चुप हूँ ।
सिर्फ़ कोशिश है बस, हर कोशिश में लटक जाती है एक टक देखने जाता हूँ, मेरी आँख झपक जाती है और निगाहें भी ग़लत से, किसी दम मिल जो गईं आईने बन के तो आते है, मुई शक्ल चटख जाती है
जब से मैं तेरे साज़ की चुप हूँ ।
ReplyDeleteतब से अपनी आवाज़ की चुप हूँ ।
मुझ को मालूम नहीं कहाँ जाना ,
इस लिए हर आगाज़ की चुप हूँ ।
तुम ने वादा कोई निभाया था ,
मैं तेरे उस लिहाज़ की चुप हूँ ।
nice pick! :)
ReplyDeletePlease avoid posting anonymously... would appreciate your courage to turn up with some identity.
एक हसीं लम्हा
ReplyDeleteजो
लाया था मेरे लिए
सारे जहाँ की खुशियाँ
अगले ही पल
खत्म हो गया
और
मुझे रोता बिलखता
छोड गया
इस अँधेरे जीवन में
जो
खालीपन से भरा है.
:(
Deleteसिर्फ़ कोशिश है बस, हर कोशिश में लटक जाती है
ReplyDeleteएक टक देखने जाता हूँ, मेरी आँख झपक जाती है
और निगाहें भी ग़लत से, किसी दम मिल जो गईं
आईने बन के तो आते है, मुई शक्ल चटख जाती है
though U have decided to continue d anonymity, I couldn't miss appreciating ur words.
Deletekeep 'em coming!