कई बार मिली है ज़िन्दगी मुझसे
बैठ कर बातें की है.. देर तक
डांटा भी है कई बार
प्यार से समझाया भी फिर
शरारतें भी की है कई साथ में
खूब पटती है हमारी :)
बदलती भी रही खुद को मेरे साथ...
सुबह की अलसायी नींद से जगाते हुए पिता सी
फिर रात की चादर में चुपके से सुलाती हुई माँ सी
छोटी-छोटी बातों में रूठती मनाती बहन सी
और बड़े-बड़े सपने दिखाती भाई सी
जब अकेली सी पड़ी कहीं किसी राह पर
एक साथी एक सहेली में भी दिखी तू
कितने रूप लेती रही तू मेरे लिए
इतना कुछ देती रही तू हर बार
फिर भी जब मिलती नहीं मैं मुस्कुराकर तुझसे
कुछ खुदगर्जी सी महसूस करती हूँ...
Straight from heart, true and amazingly beautiful are the words that come to my mind :)
ReplyDeleteThanks a lot.. even u are really good with words! liked ur poems.. :)
ReplyDeleteCoool Chashmish... :) Just Wooow... Lovely, I loved each and every line.... :) :) :)
ReplyDeletethank you :)
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