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Jun 9, 2012

खिलौना

वो खिलौना हमारा
कितना प्यारा था ,
जिसे अपना-अपना जताने की छीना-झपटी में
कुछ खरोंचे आई थी;
फिर बारिश भी हुई थी ज़ोरों से
और भीग कर वापस मिट्टी हो गया था।
बाँट तो लिया है हमने अपना-अपना हिस्सा
उस मिट्टी में भी
उम्मीद है शायद अपना कोई 
खिलौना बना ले
पर पता है,
कहाँ आता है हमें
खिलौने बनाना।
ज़रूरत ही नहीं पड़ी इतने सालों में..

हाँ इतने साल भी तो हो गए है
खिलौने नहीं मिलेंगे अब हमें
बड़े हो गए है हम शायद...

स्कूल भी  खुलने वाले है
और ज्यादा पढाई करनी होगी
अब से छुट्टियाँ भी नहीं मिलेंगी हमें
गर्मियों की :(