Showing posts with label खुद. Show all posts
Showing posts with label खुद. Show all posts

Jan 6, 2020

ज़ख्म



वक़्त -
मरहम है सबसे बड़ा
सुनते आये हमेशा से
कहा भी कई बार
कइयों से

फिर खुद जी कर जाना

वक़्त-
भरता नहीं हर ज़ख्म
कई बार बस
सीखा देता है जीना
पुरानों के साथ
जब हमें झेलने होते है

नए ज़ख्म !


Jan 25, 2016

पन्ने





कई डायरियाँ यूहीं भर गयीं
तुम्हे याद करते हुये
और भुलाने की कोशिश में ।

किसी पन्ने पर तुम खुद भी आ जाते
दो-चार शब्द तो साथ चलते ।