May 26, 2015

घाट


वो सारे पल,
जो बांधे थे
उस पोटली में
ऊँचे-नीचे रास्तों से
गुज़रते हुये जो बनायी थी,

जला दिये 
एक फिज़ूल दिन
और अवशेष
विसर्जित किये गये
किसी घाट पर


May 15, 2015

खून


पत्थरों के डर से रुकना मत
फूल होते तब देते

राह रोकें तो डरना मत
हाथ होते तो साथ देते

नीचा दिखायेंगे पर झुकना मत
बड़े होते तो यूं ना गिरते

गलतियां थोपेंगे, बिखरना मत
सही होते गर खुद सच्चे होते

रस्मों-रिवाज़ों से दबायेंगे सहना मत
नियम मानते तो निष्पक्ष होते

तुम्हारी जि़न्दगी चलायेंगे सौंपना मत
यही हक़ होता तो फिर भगवान होते

साथ छोड़ देंगे तो गिरना मत
अपने होते तो हर दम होते।


तुम्हें दुख होगा
दर्द भी बहुत
पर जूझना.....
तुम टूट भी जाओ
तुम्हारा 'खून'* हारेगा नहीं।



*Lineage
For women who still face social evils

May 9, 2015

केलेंडर



केलेंडर तो
दिनों को जोड़ता है
पल रखे हों कुछ
तो कैसे जोडू -मिलाऊँ






तारीखें नहीं बचीं....
आजकल यूँ ही है 
इसे कैसे याद रखूं-दिलाऊँ

 फ्रेम नाज़ुक इक
इस कदर टूटा पिछले दिनों
क्या तस्वीर थी उसमें
अब कैसे देखूँ - बताऊँ